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Bihar Flood : Returns

बिहार का बाढ़ से नाता बहुत ही पुराना रहा है।  आज भी खबर आ रही है की बिहार के 10 डिस्ट्रिक्ट  में बाढ़ को नज़र में रखते हुए NDRF  की टीमें भेजी गयी है। बात यह नहीं है की बाढ़ आती क्यों है , सवाल तो यह है की उससे बचने के लिए आपने तैयारी क्या कर रखी है ? क्योकि यह आपका पहली बार नहीं है की आपको पता ही नहीं था की बाढ़ भी आ सकती है। हर बार हमें यही खबर मिलती है की बाढ़ की वजह से यहाँ इतना नुकसान हुआ  है और अगर तैयारी थोड़ी पहले और  हो जाती तो इतना जान - माल का नुक्सान  नहीं होता। आज कोशी निवासी उसी तिराहे पे खड़े है जहाँ  वो 1987 में खड़े थे , आखिर इस चुलबुली कोशी का इलाज क्या है। क्या यहाँ पर बाँध बना देना चाहिए? क्या बाँध ही इस नदी का इलाज है ? पर्यावरण को बचाने वाले तो यही कहेंगे की बाँध बनाना कोई समाधान नहीं है !! लेकिन  मेरा तर्क तो यही है की बात पर्यावरण को बचाने की है तो बाढ़ ला कर आप कौन  सा पर्यावरण बचा रहे है ?? अगर बाँध बन जाता तो कम से कम इतनी तबाही तो नहीं होती। विनाशकारी बाढ़ के लिए कोशी को "बिहार का शोक " भी कहा जाता...

Gorakhpur Tragedy :- Political view

बीते  3 - 4 दिनों से एक ही खबर सुनने में आ रही है , गोरखपुर  में एक सरकारी अस्पताल में 60 बच्चो की मौत को लेकर। सत्ताधारी  पक्ष का कहना है की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई रोक देने के कारण नहीं हुई है , यह एक सामान्य मौत है जो की उनकी बीमारी के  कारण हुई है।  उसी तरफ विपक्ष और मीडिया का उन पर यह आरोप लगा रही है की आप की लच्चर व्य्वस्था  के कारण और गैस एजेंसी के लाखो रुपये बकाये रखने के कारण ऑक्सीजन सप्लाई को बंद कर दिया गया है  और यही कारण है बच्चो की मौत का।  उसी बीच केंद्र द्वारा गठित कमेटी  और मुख़्यमंत्री ने अपना काम कर लिया ( प्रेस कांफ्रेंस ) और वह भी यही नतीजे पर पहुंचे की मौते ऑक्सीजन की सप्लाई बंद  होने  की वजह से नहीं  जबकि बच्चो की अपनी अपनी बीमारियों के कारण मौत हुई है , और अस्पताल के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया।  जब प्रिंसिपल ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था तो उनको आप निलंबित कैसे कर सकते है !!!! हिंदुस्तान अखबार ने अपने संस्करण 30 जुलाई को ही बता दिया था की अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत होन...