दिन पर दिन भारत में बढ़ते पत्रकारों पर हमले और ऑनलाइन ट्रॉल्स , पहले जिन ट्रॉल्स को लोग सिर्फ मजाक के रूप में लेते थे अब वो खतरनाक रूप धारण कर रहे है , भारत में पिछले साल भी कई पत्रकारों की निर्मम हत्या कर दी गयी। उन का दोष सिर्फ इतना ही था की उन्होंने पूरा प्रयास किया सच को जनता के सामने रखने का , उन पर हमले की धमकियाँ भी आयी और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी आगाह किया गया मगर वो नहीं रुके , क्योंकि कहीं न कहीं तो हमें लगता ही है की धमकाने वाले सिर्फ धमका ही रहे है और हमको उनसे कोई खतरा नहीं है। आज कल इनकी सेना (ट्रोल आर्मी ) खड़ी हो गयी है , न जाने कितने लोग ऐसे संगठनो से जुड़ गए है जो हिन्दू और मुसलमान पर देश को बाँट रहे है , जब बीफ़ रखने के "संदेह " पर इंसान को मार दिया जाता है , तो उनके बारे में सोचिए जो पूरे सिस्टम के खिलाफ खड़े होते है और सचाई का साथ देते है।ऑनलाइन गाली सुनना तो इनका (पत्रकार ) का रोज़ का काम है और यह तो पहले भी होता था लेकिन अब लोग इनके परिवार वालो को भी नहीं छोड़ते है और उनको भी मारने की धमकी दे देते है और डर की बात तो यह है की इनका को...
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